लड़की से औरत बनी

लड़की से औरत बनी


मेरा नाम पूनम है, मैं पंजाब की रहने वाली हूँ, मेरे पापा चंडीगढ़ में सरकारी अफसर हैं और मम्मी घरेलू महिला हैं।

बात उस समय की है जब मैं इंजीनियरिंग फ़ाइनल इयर की छात्रा थी, मेरी उम्र 20 साल की थी, तब तक मैं पूर्ण रूप से कुँवारी थी लेकिन सहेलियों से सेक्स की बातें सुन कर मेरे मन में भी चुदवाने की इच्छा होती थी लेकिन नारी सुलभ लज्जा आड़े आ जाती थी।

कभी कभी सुबह सुबह ट्रेन की सफ़र करती तो पटरियों पर लैट्रिन के लिए बैठे लोगों के लिंगों को चोर नज़रों से देखती थी !

मेरे घर के सामने एक 30 साल का आदमी रहता था जिसका नाम रमेश था। उसकी बीवी पारिवारिक कारणों से उसके माँ बाप के साथ गावं में रहती थी। वो रविवार की छुट्टी में गाँव चला जाता था।
चूंकि वो अकेला रहता था इसलिए अक्सर हमारे घर आ जाता था, मम्मी पापा से काफी घुलमिल गया था !

एक बार मम्मी पापा एक रिश्तेदार की शादी में दो दिनों के लिए शहर से बाहर गए थे, मेरी जरूरी क्लास थी तो मैं अकेली घर पर रह गई।

शाम को कालेज से वापस आकर कपडे बदले और चाय बना कर टीवी देखने बैठ गई, एक इंग्लिश मूवी आ रही थी जिसमे काफी सेक्सी सीन थे, जिन्हें देख कर मैं गर्म होने लगी और अपना हाथ लोअर में डाल कर चूत सहलाने लगी।

तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, दरवाज़ा खोला तो रमेश सामने था।

मैंने उसे अंदर बुला लिया और हम दोनों मूवी देखने लगे। थोड़ी देर बाद उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया तो मैंने उसका हाथ हटा दिया। थोड़ी देर बाद जब दुबारा हाथ रखा तो मैं उसका हाथ न हटा सकी फिर वह मुझे अपनी तरफ खीच कर मेरे होठ चूसने लगा और मेरे मम्मे पकड़ कर सहलाने लगा।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

उसने मेरी टी शर्ट में हाथ डाल कर मम्मे को ब्रा के अंदर से पकड़ कर बाहर कर दिया। मैंने उसे दरवाजा बंद करने को कहा।

वो दरवाजा बंद करके आया और मुझे उठा कर मम्मी पापा के बेडरूम में ले गया।

पहले मेरे लोअर और टीशर्ट निकल दिया और खुद नंगा हो गया। उसका लण्ड मोटे डंडे की तरह खड़ा था जिसे देख कर मैं सिहर गई की मेरी छोटी सी चूत उसे कैसे अपने अन्दर लेगी।

मेरे इस डर से अन्जान उसने मेरे साथ बेड पर लेट कर मेरी 32 इंच के संतरों को ब्रा से आजाद कर दिया और एक चुचूक मुँह से चूसने लगा तो दूसरे को मसलने लगा। उसका एक हाथ मेरी पैंटी में घुस कर चूत को सहला रहा था, कभी चूत, कभी झांटे तो कभी चूतड़ों को सहलाता।

वह करीब 10 मिनट ऐसे ही मुझे मसलता रहा। उसके बाद वो मेरी चूत चाटने लगा।

दोस्तो, मैं क्या बताऊँ कि कितना मज़ा मैं लूट रही थी !

करीब 15 मिनट तक अपनी चूत चटवाने के बाद मुझे लगा कि जैसे मेरा सारा शरीर पिंघल रहा है, मैं अकड़ने लगी और जैसे चूत से कुछ निकल रहा था।

और वो जीभ अंदर डाल डाल कर सारा रस पी गया।

मैं निढाल सी होकर पड़ी रही, वो फिर भी मेरी चूत चाटता रहा।

थोड़ी देर बाद मैं फिर गर्म होने लगी। फिर वो मेरे ऊपर इस प्रकार उल्टा लेट गया कि उसका लण्ड मेरे मुँह में और मेरी चूत उसके मुँह पर !

मैंने लण्ड को चाटने की कोशिश कि लेकिन अजीब सा कसैला स्वाद था और मैंने नहीं चाटा। लेकिन हाथ से सहलाती रही।

इस अवस्था में हम 5 मिनट रहे होंगे।

इसके बाद वह मेरी दोनों टाँगे फैला कर उनके बीच में आ गया। अब मेरी चूत उसके लण्ड के सामने थी।

पहले तो वह लण्ड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रगड़ता रहा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं चूतड उचका उचका कर मज़ा ले रही थी, फ़िर उसने मेरी कमर पकड़ ली और एक तेज़ झटका मारा तो लण्ड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुसा।

एक तेज़ चीख मेरे मुँह से और गाण्ड से तेज़ पुर्र्र की आवाज निकल गई।

मुझे लगा कि मेरी चूत में किसी ने चाकू घुसा दिया हो ! मैं तड़प उठी लेकिन उसके पकड़ से अपने आप छुड़ा न सकी। एक शेर की तरह उसने मुझे जकड़े रखा।

जब मुझे थोड़ा आराम मिला तो वह मेरे मम्मे चूसने लगा। धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और वो लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।

उसने एक तेज़ झटका और मारा, दर्द तो इस बार भी हुआ लेकिन बहुत कम ! हल्की सी चीख भी निकली, पूरा लण्ड चूत में घुस गया था क्योंकि अब हमारी झांटे आपस में छू कर रही थी।

अब उसने पूरे जोर-शोर से मेरी चुदाई शुरु कर दी, लण्ड को पूरा आगे पीछे कर करके झटके मारता तो कई बार चीख निकल जाती तो कई बार पाद !जम के चुदाई हो रही थी !

मैंने हाथ से छू कर चूत की स्थिति जाननी चाही तो मेरी प्यारी सी चूत नीचे गाण्ड तक फैली हुई थी, दोनों लब मुश्किल से लण्ड को संभाले हुए थे।

खैर मज़ा तो बहुत आ रहा था, करीब 25 मिनट की धक्कमपेल चुदाई के बाद मैं झड़ने लगी, मेरे मुहँ से आः आह चोदो जान आःह्ह्ह आई की आवाज़ें निकलने लगी।

मैंने क़स लिया उसे अपनी बाहों में और ढीली पड़ने लगी।

लेकिन वो पूरे जोश में मुझे चोदता रहा और मेरे अंदर ही झड़ गया। उसके वीर्य से मेरी चूत लबालब भर गई। वो मेरे उपर तब तक पड़ा रहा जब तक उसका लण्ड खुद बाहर न निकल गया।

हम दोनों उठे तो देखा कि चादर पर खून और वीर्य का बड़ा सा धब्बा लगा हुआ है।

मैं अब लड़की से औरत बन चुकी थी !

बाथरूम में जा कर सू सू किया तो योनि से वीर्य के साथ हल्का सा खून भी आ रहा था !

मुझे औरत बनाने के बाद रमेश ने बाथरूम में अपना लण्ड और मेरी चूत साफ की फिर तेल गर्म करके मेरी चूत की मालिश की और रात में आने को कह कर चला गया !

मैं आनंद की अनुभूति पा कर सो गई।

रात करीब 8 बजे रमेश आया तो आधा बोतल व्हिस्की, एक बोतल बियर और एक चिकन साथ में लाया था !

पहले तो हमने चिकन और बियर का मज़ा लिया एक गिलास बियर पीते ह़ी मुझे नशा होने लगा लेकिन रमेश ने मुझे दूसरा गिलास भी पिला दिया और मैं पूरी मस्त हो गई।

और वो मेरी चूचियों और चूत से खेलने लगा।

मैंने भी उसका लिंग पकड़ लिया, उससे खेलने लगी।

दस मिनट में ही फिर से हम मर्द औरत वाला खेल खेलने लगे। जब वो जोरदार झटका मारता तो मैं आह आह ! कर देती।

लेकिन थोड़ी देर बाद मज़ा ले ले कर चुदवाने लगी।

वो चोदते-चोदते अपने एक दोस्त के लण्ड की तारीफ भी करता रहा कि उसका लण्ड बहुत बड़ा है, कभी तुम भी ले कर देख लेना !

मैं नशे में तो थी ही, मैंने हाँ कर दी।

पता नहीं कब तक हम कुश्ती का खेल करते रहे और कब दोनों आउट होकर सो गए।

रात में मुझे लगा कि रमेश फिर से मुझे मसलने लगा है। मैं बहुत नशे में थी और चुदवाने का मूड था ही तो मैं भी साथ देने लगी।

फिर कुछ देर बाद मुझे लगा कि शायद यह रमेश नहीं है जो मुझे रगड़ रहा है, यह कोई और है क्योंकि इसका लण्ड रमेश के लण्ड से मोटा है।

लेकिन बीयर का तेज़ नशा था, मैंने उसे अपना ख्याल समझी और वो मुझे मसलता रहा, मेरी चूचियों को चूस-चूस कर लग रहा था कि सारा दूध निकाल कर पी जाएगा।

मज़ा तो मुझे बहुत आ रहा था लेकिन कई बार दर्द भी हो जाता तो कराह देती। वो मेरे होंठ लोलीपोप की तरह चूस रहा था, लग रहा था कि मुझे खा जाना चाहता हो।

मेरी चूत गीली हो चुकी थी, मैं उसका लण्ड पकड़ कर खींचने लगी। फिर वो मेरी जांघें फैला कर बीच में आ गया और चूत पर लण्ड लगा कर वजन डाला तो चूत पहले ही झटके में आधा लण्ड निगल गई। मैं आह-आह करने लगी क्योंकि मेरी चूत संभाल नहीं पा रही थी उसका लण्ड।

लेकिन वो लगातार मेरे होंठ चूस रहा था और मैं कराह रही थी। लेकिन आनन्द भी आ रहा था।

थोड़ा और जोर मारा उसने तो चूत में पूरा लण्ड घुस गया, लग रहा था जैसे मेरी चूत फट जाएगी। मैं अपनी जांघें फैला कर लंड के लिए जगह बनाने की कोशिश करने लगी लेकिन लण्ड की मोटाई के कारण चूत के होंठ लगता था कि अलग अलग हो जायेंगे, लण्ड को सँभालने की कोशिश में कई बार गाण्ड से पाद निकल जाती थी।

जब चूत थोड़ी सामान्य हुई तो वो दनादन चोदने लगा। तब तक मैं समझ चुकी थी कि यह रमेश नहीं बल्कि उसका वो दोस्त चोद रहा है जिसकी तारीफ वो कर रहा था।

मुझे अजीब तो लगा लेकिन मज़ा बहुत आ रहा था इसलिए चुदवाती रही, चुदवाती रही।


मुझे रमेश का दोस्त चोद रहा था और मैं दर्द और आनन्द की मिश्रित आहें भर भर के चुदा रही थी। उसके सीने से मेरी चूचियाँ पिस सी रही थी, उसके सीने के बाल मेरे चुचूकों से रगड़ खाकर मुझे स्वर्ग की सैर करा रहे थे। अब मेरी चूत उसके लण्ड के अनुरूप फ़ैल चुकी थी और पूरे लण्ड को गपागप निगल रही थी, उसकी और मेरी झांटे आपस में रगड़ खा जाती थी। चुदाई में इतना आनन्द आता है, मैंने कल्पना भी नहीं की थी, अन्यथा कब की चुदा चुकी होती।

आनंद के अतिरेक में मैं अपनी चूत को ऊपर उठा देती तो उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से टकराता तो दर्द से कराह देती थी।

अब मेरी नींद पूरी तरह खुल चुकी थी, नशे की खुमारी भी कम हो गई थी, मैं समझ चुकी थी कि रमेश अपने दोस्त को बुला कर मेरी चुदाई करा रहा है लेकिन अंदर अंदर खुश थी कि इसी बहाने इतना मज़ा मिल रहा है।

मैंने अपने पैर उसके कूल्हों पर लपेट लिए और जब वो लण्ड अन्दर पेलता तो मैं अपनी गाण्ड ऊपर को उठा देती ताकि पूरा लण्ड मेरी चूत निगल सके।

करीब आधा घंटा चुदने के बाद मैं झड़ने लगी तो मैंने अपने पैरों और हाथों से उसे क़स लिया और मज़ा लेकर पूरा रज उसके लण्ड पर गिरा दिया। मेरी चूत के रस को पीकर उसका लड़ मस्त हो गया और मस्ती को संभाल नहीं सका और वो भी गिराने लगा मेरी चूत में ही और पूरी चूत अपने रस से भर दी।

उसका माल चूत से निकल कर गाण्ड से होता हुआ बिस्तर की चादर पर गिर रहा था।

वह कुछ देर तक ऐसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा फिर बाथरूम चला गया।

मैंने करीब दस मिनट बाद उठ कर रमेश को आवाज़ दी तो रमेश आ गया।

फिर मैंने अनजान बन कर कहा- इस बार तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा लग रहा था?

तो वो मेरे बदन से चिपक के लेटा रहा और मेरी चूचियाँ मसलने लगा। उसका लण्ड खड़ा था तो मैंने कहा- अभी अभी चोद कर गए हो और यह फिर खड़ा है?

तो रमेश बोला- वो मेरा दोस्त था जिसने तुझे अभी अभी चोदा !

तो मैंने नाराज़गी दिखाते हुए कहा- उससे क्यों चुदवाया मुझे ?

तो बोला- जान, तुमने ही कहा, तब उसे बुलाया और कितना मज़ा ले लेकर चुद रही थी?

मैंने नाराज़गी दिखाई कि तुमने धोखे से अपने दोस्त को बुला कर मेरी चूत जूठी करा दी तो वो कहने लगा- डार्लिंग, तुमने हाँ की तभी उससे कराया ! अब माफ़ कर दो !

थोड़ी देर बाद मैं मान गई तो अपने दोस्त को आवाज़ दे कर दूसरे कमरे से बुला लिया। वो मेरा पड़ोसी और मेरे पापा का दोस्त अनिल था। वैसे तो वो उम्र में पापा से छोटा था, करीब 35 साल का होगा मैं उसे अंकल बोला करती थी।उसे देख कर मैंने शर्म से अपना मुँह छुपा लिउआ।

वो मेरे बिस्तर पर बैठ गया और कम्बल में हाथ डाल कर मेरी गाण्ड और चूत सहलाने लगा और बोला- अब मुझे अंकल नहीं, डार्लिंग कहना ! अब हम दोनों तुम्हारे प्रेमी और पति हैं। कई साल से तुम्हारी गाण्ड और चूत की सोच कर मुठ मारते रहे हैं, आज नंगी देखने और चोदने को मिल गई हो ! पता नहीं क्या पुण्य किये थे हमने जो तुम जैसी अप्सरा को चोदने का मौका मिला।

उसने मेरे मुँह से कम्बल हटा दिया और बोला- शरमाओ मत डार्लिंग, मज़ा लूटो !

अनिल मेरे होंठ चूसने लगा और मेरी गाण्ड में ऊँगली पेल दी।

मैंने गाण्ड हिला कर उसकी ऊँगली निकाल दी तो बोला- जब वो चोद रहा था तब गाण्ड खूब पाद रही थी। इसका मतलब इसको भी लण्ड चाहिए।

मैं बस मुस्कुरा दी तो बोला- वाह डार्लिंग, तेरी इसी मुस्कराहट पर तो हम मरते हैं।

अनिल ने मेरे नंगे बदन से पूरा कम्बल हटा दिया। मैं शरमा कर एक हाथ से चूत और दूसरे हाथ से चुचिया छुपाने का प्रयास करने लगी।

यह देख कर दोनों हँस पड़े और मेरे दोनों तरफ़ लेट गए और मुझे प्यार करने लगे।अनिल मेरे होंठ चूस रहा था और रमेश मेरे चूचे !

मेरी एक जांघ अनिल ने अपने जांघों में दबा रखी थी और दूसरी रमेश ने ! इस कारण मेरी चूत और गाण्ड दोनों फैले हुई थी। दोनों के लण्ड मेरे हाथों में थे। अनिल का लण्ड सोया हुआ था लेकिन रमेश का लण्ड फुफकार रहा था। चूत पर रमेश की उंगलियाँ चल रही थी जबकि दूसरा मम्मा अनिल मसल रहा था। चूत पानी निकाल कर पुनः चुदने को तैयार है, इसका सन्देश दे रही थी।

फिर अनिल अपना हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे डाल कर गाण्ड में ऊँगली डालने लगा और होंठ छोड़ कर स्तन चूसने लगा।

अब हालत यह थी कि अनिल और रमेश के कब्ज़े में एक एक जांघ और एक एक मम्मा था, रमेश के पास चूत थी तो अनिल चूतड़ों के नीचे हाथ डाल कर गाण्ड में ऊँगली पेल रहा था।

मैं तो मदहोश थी, मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थी।

अनिल जब गाण्ड में ऊँगली ज्यादा पेल देता तब दर्द तो नहीं लेकिन चुभन हो जाती तो गाण्ड हिला कर मैं ऊँगली निकालने का असफल प्रयास करती।

लेकिन दो भूखे शेरों के बीच फंसी हिरनी जैसा हाल था मेरा ! फर्क यही था कि हिरनी को शेरो से ज्यादा आनन्द आ रहा था।

फिर मोर्चा रमेश ने संभाला और मेरी जांघों के बीच आ गया।

अब मेरी चूत उसके लण्ड के आगे थी उसने चूत के होंठों को फैला के अपना सुपारा चूत में रख कर धक्का मारा तो लण्ड गपाक से घुस गया।

मेरी गाण्ड से पु ऊऊ करके पाद निकल पड़ी तो अनिल बोला- जान, अब तुम्हारी चूत का आकार तो मेरे लण्ड का हो गया है, इसके लण्ड पर तो मत पादो !

मैं बस मुस्कुरा दी।

फिर रमेश मेरी चूत चोदने लगा।

अनिल सच ही बोल रहा था, रमेश का लण्ड आसानी से आ-जा रहा था, दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था और मैं गाण्ड उठा-उठा कर लण्ड खा रही थी।

पूरा कमरा आह आह्ह ऊह्ह उह की आवाज़ से गूंज रहा था।

अनिल गाण्ड सहला रहा था और चूचे चूस और मसल रहा था। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों का फैलाव भी चेक कर रही थी।

फिर उसने एक ऊँगली गाण्ड में डाल दी पूरी ! और आगे-पीछे करके ऊँगली से चोदने लगा।

अब अनिल का लण्ड भी फुफकारने लगा था, उसने उठ कर मेरे मुँह के पास अपना लण्ड कर दिया, खड़ा होने के बाद उसका लण्ड बहुत बड़ा हो गया था, मैं उसके सुपारे पर जीभ फेरने लगी तो मुझे भी अच्छा लगा और लण्ड और तमतमा गया।

फिर मैं सुपारा चाटने लगी और उसने मेरे मुँह में लण्ड डाल दिया। अब मेरी चूत और मुँह की चुदाई एक साथ होने लगी।

रमेश चूत का बाजा बजा रहा था तो आनिल मुँह में चोद रहा था। मुँह में जब ज्यादा अंदर लण्ड पेल देता तो मेरी साँस रुक जाती थी।

करीब आधे घंटे बाद मैं रमेश के लण्ड पर झड़ गई और उसके लण्ड को अपने काम-रस से नहला दिया।

रमेश को हटा कर अनिल मेरी चूत पर अपना मुँह लगा कर मेरा सारा रस पीने लगा और चूत को चूसने लगा।

मुझे असीम आनन्द आ रहा था।

रमेश उठ कर मेरे मुँह के पास आ गया और अपना मेरी चूत के रस से भीगा लण्ड मेरे मुँह के आगे कर दिया।

मैं उसके लण्ड के मोटे हिस्से को चाटने लगी तो उस पर मेरा और उसका मिश्रित रस बड़ा स्वादिष्ट लगा। फिर मैं उसे पूरा चूसने लगी तो वो जोश में भर गया और अपना माल मेरे मुँह में छोड़ने लगा। जब तक मैं उसका लण्ड मुँह से निकालती, तब तक ढेर सारा माल मुँह में भर गया और बाकी मेरे चेहरे और चूचियों पर गिरा।

मुँह वाला माल मैं निगल गई लेकिन लगा कि उलटी हो जाएगी परन्तु संभल गई। जो माल चूचियों और चेहरे पर गिरा, उसकी मालिश उसने कर दी।

अनिल सच ही बोल रहा था, रमेश का लण्ड आसानी से आ-जा रहा था, दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था और मैं गाण्ड उठा-उठा कर लण्ड खा रही थी।

पूरा कमरा आह आह्ह ऊह्ह उह की आवाज़ से गूंज रहा था।

अनिल गाण्ड सहला रहा था और चूचे चूस और मसल रहा था। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों का फैलाव भी चेक कर रही थी।

फिर उसने एक ऊँगली गाण्ड में डाल दी पूरी ! और आगे-पीछे करके ऊँगली से चोदने लगा।

अब अनिल का लण्ड भी फुफकारने लगा था, उसने उठ कर मेरे मुँह के पास अपना लण्ड कर दिया, खड़ा होने के बाद उसका लण्ड बहुत बड़ा हो गया था, मैं उसके सुपारे पर जीभ फेरने लगी तो मुझे भी अच्छा लगा और लण्ड और तमतमा गया।

फिर मैं सुपारा चाटने लगी और उसने मेरे मुँह में लण्ड डाल दिया। अब मेरी चूत और मुँह की चुदाई एक साथ होने लगी।

रमेश चूत का बाजा बजा रहा था तो अनिल मुँह में चोद रहा था। मुँह में जब ज्यादा अंदर लण्ड पेल देता तो मेरी साँस रुक जाती थी।

करीब आधे घंटे बाद मैं रमेश के लण्ड पर झड़ गई और उसके लण्ड को अपने काम-रस से नहला दिया।

रमेश को हटा कर अनिल मेरी चूत पर अपना मुँह लगा कर मेरा सारा रस पीने लगा और चूत को चूसने लगा।

मुझे असीम आनन्द आ रहा था।

रमेश उठ कर मेरे मुँह के पास आ गया और अपना मेरी चूत के रस से भीगा लण्ड मेरे मुँह के आगे कर दिया।

मैं उसके लण्ड के मोटे हिस्से को चाटने लगी तो उस पर मेरा और उसका मिश्रित रस बड़ा स्वादिष्ट लगा। फिर मैं उसे पूरा चूसने लगी तो वो जोश में भर गया और अपना माल मेरे मुँह में छोड़ने लगा। जब तक मैं उसका लण्ड मुँह से निकालती, तब तक ढेर सारा माल मुँह में भर गया और बाकी मेरे चेहरे और चूचियों पर गिरा।

मुँह वाला माल मैं निगल गई लेकिन लगा कि उलटी हो जाएगी परन्तु संभल गई। जो माल चूचियों और चेहरे पर गिरा, उसकी मालिश उसने कर दी।

अब अनिल मुझे चोदने के लिए मेरी जांघों के बीच में आ गया, मेरी चुदी हुई चूत के मुँह पर अपना सुपारा रगड़ने लगा, मोटे और बड़े लण्ड का अहसास कर चूत पानी निकालने लगी।

फिर अनिल ने जोर मारा तो चूत फैलती हुई उसके लण्ड के लिए रास्ता देने लगी, लण्ड चूत के दीवारों को रगड़ता हुआ मेरी बच्चेदानी तक चला गया। लण्ड को समायोजित करने में चूत पूरी गाण्ड तक फ़ैल गई।

अब मेरी और अनिल की झांटे आपस में छूने लगी थी, मैंने अनिल की कमर पकड़ ली, वो बोला- देखता हूँ कि बंसल साहब की बेटी में कितना दम है।

मैंने उसे चूमा और वो मुझे चोदने लगा, उसका 7 इंच का लण्ड मेरी बच्चेदानी पर टकरा रहा था, हर झटके पर मेरी आह निकल जाती। मैंने चूत को ढीली छोड़ दी नहीं तो फटने का डर लग रहा था। अनिल पूरी मस्ती और जोश से मेरी फ़ुद्दी चोद रहा था और रमेश मेरी गाण्ड में उंगली डाले हुए था था। मेरी चूचियाँ अनिल की छाती से पिस रही थी और मेरे होंठ अनिल चूस रहा था।

चोदते चोदते अचानक अनिल पलट गया और मैं उसके ऊपर हो गई और चूत से लण्ड निकल गया लेकिन रमेश ने हाथ लगा कर चूत में अनिल का लण्ड डाल दिया। अब मैं अनिल को चोद रही थी और रमेश मेरे चूतड़ फैला कर मेरी चूत जिसमें अनिल का लण्ड घुसा हुआ था चाटने लगा।

गज़ब का मज़ा आ रहा था- अनिल को चोद रही थी और रमेश मेरी चूत, गाण्ड और अनिल का लण्ड तीनों को चाट रहा था !

थोड़ी देर बाद अनिल मुझे घोड़ी बना कर चोदने लगा और मैं रमेश का लण्ड चूसने लगी। अनिल ने मेरी कमर को दोनों हाथों से क़स रखा था और पूरा लण्ड गपागप पेल रहा था।

चोदते चोदते अचानक अनिल ने झटके से लण्ड बाहर खींच लिया तो चूत से चप की आवाज़ निकल गई, फिर झटके से पूरा लण्ड पेल दिया तो मेरे मुँह से आह निकलनी चाही लेकिन मुँह में लण्ड होने के कारण आवाज़ घुट कर रह गई।

रमेश चूत के पानी से अपनी उंगली गीली करके मेरी गाण्ड में डाल कर उसे भी हिलाने लगा। मुझे अब उसकी उंगली से मज़ा आने लगा था। जब गाण्ड थोड़ी और ढीली हुई तो अपना अंगूठा डाल कर हिलाने लगा। अब मेरी गाण्ड में अंगूठा तो चूत में लण्ड था तो मुँह में रमेश का लौड़ा !

मैं तीनों तरफ से चुद रही थी, बहुत मज़ा आ रहा था मुझे !

फिर दोनों ने अपना अपना स्थान बदल लिया, रमेश पीछे आ गया और अनिल ने मेरे मुँह में डाल दिया, रमेश मेरी चूत-गाण्ड चाटने लगा। गाण्ड पर जब उसकी जीभ जाती तो गज़ब का आनन्द आता।

फिर रमेश अपना लण्ड मेरी चूत में डाल कर चोदने लगा लेकिन मेरी चूत अनिल के लण्ड जितनी खुल गई थी और रमेश का लण्ड का पता ही नहीं चल रहा था, शायद रमेश को भी चूत में मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए उसने अपना सुपारा मेरी गाण्ड पर लगा कर धक्का मारा तो उसका लण्ड अंदर चला गया। दर्द तो बहुत हुआ लेकिन हिम्मत करके सह गई और वो गाण्ड चोदने लगा।

मुझे मज़ा तो नहीं आ रहा था लेकिन उसकी ख़ुशी के लिए गाण्ड मरवाती रही। करीब 10-15 मिनट बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा, फिर तो गाण्ड गपागप लण्ड लेने लगी, उसके अंडकोष मेरी चूत से टकरा कर मुझे बहुत मज़े दे रहे थे, हर धक्के पर मैं गाण्ड उसकी ओर धकेल देती और उसका लण्ड पूरी गहराई को नाप लेता।

और जल्दी ही उसने मेरी गाण्ड में अपना माल छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद उसका लण्ड गाण्ड से बाहर निकल गया।

अब बारी अनिल की थी, मैं उसके ऊपर चढ़ कर चुदने लगी, अब तक मेरी चूत और गाण्ड दोनों फ़ैल चुकी थी और मैं पूरे जोश से चुद रही थी। अनिल मेरे चूचे मसल रहा था, मैं भी बीच बीच में अनिल के छोटे छोटे चुचूक चूसती, काटती। चूंकि मेरी गाण्ड भी चुद चुकी थी इसलिए गाण्ड से कई बार पाद निकल रही थी और थोड़ी देर में ही मैं झड़ गई और पूरा रज अनिल के लण्ड को पिला दिया।

फिर उसने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे चूतड़ों पर चढ़ गया।

मैं समझी कि अब वो मेरी गाण्ड में डालेगा लेकिन उसने मेरे पेट के नीचे तकिया लगा दिया जिससे मेरी गाण्ड ऊपर को उठ गई तो उसने चूतड़ों को हाथ से फैला दिया और चूत में लण्ड लगा के गप से पूरा डाल दिया।

मैं कराह उठी तो बोला- डार्लिंग अब तुझे इस तरह चोदूँगा कि पिछली सारी चुदाई भूल जाओगी !

और वो लगा मुझे चोदने गपागप !

उसका लण्ड मेरी चूत की ऐसी तैसी कर रहा था तो मेरे चूतड़ स्प्रिंग का काम कर रहे थे, उसके हर धक्के पर चूतड़ उसे बाहर धकेल देते उसकी छाती मेरी नंगी पीठ पर रगड़ रही थी।

वो मेरी पीठ, गर्दन और मेरे कानों को चूमता तो कभी काट लेता। मैं आःह आह्ह करती और चूतड़ उठा कर उसे मज़ा देती, उसकी झांटें मेरे चूतड़ों पर रगड़ खाती तो स्वर्ग का आनन्द आता था, बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

इसी अवस्था में चोद चोद कर उसने मुझे मस्त कर दिया, फिर मुझे सीधी कर के लिटाया और चढ़ गया मेरे ऊपर और लगा चोदने ! मेरी चूत में लण्ड ठसाठस जा रहा था, मैं चूत उठा उठा कर चुदवा रही थी, चूत लण्ड की लड़ाई में पच-पच, पचाक जैसी आवाज़ें आ रही थी।

अचानक वो चूत में माल गिराने लगा उसका गर्म-गर्म माल पूरे वेग के साथ मेरी बच्चेदानी पर गिर रहा था, उसके जोश को चूत संभाल नहीं सकी और मैं भी झड़ गई, मेरे मुँह से आह आह्ह उह उईए मम्मी मैं मर गई जैसी आवाज़ें निकल रही थी।

और हम ऐसे ही सो गए। सुबह मेरी नींद 11 बजे खुली तो देखा कि वो दोनों जा चुके थे और मेरा घर पर बाहर से ताला लगा था। मैंने ही उनसे ऐसा करने को बोला था।

मेरा पूरा शरीर टूट रहा था, बिस्तर की चादर की ऐसी-तैसी हो गई थी। सामने मम्मी की मुस्कराती फोटो दिख रही थी, शायद उनको भी अपनी बेटी के औरत बनने की ख़ुशी थी।

मैं अंगड़ाई लेकर बाथरूम में गई तो मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। गाण्ड, चूत, चूचियाँ, चूतड़, होंठ सारे दर्द कर रहे थे।

पहले टायलेट और सू-सू करके गाण्ड चूत से उनका माल निकाला, शीशे में देखा तो मेरे चूचियों, चूतड़, पेट, पीठ, जांघों पर करीब बीस जगह चूसने और काटने के नीले रंग के गहरे निशान बन गए थे। मुझे बाद में एक सहेली ने बताया कि इन निशानों को लव-स्पॉट कहते हैं।

मैंने नाश्ता किया और फिर सो गई। शायद इतनी चुदाई हो गई थी कि कई दिनों तक लण्ड के बारे में सोच कर भी चूत में दर्द होने लगता था।

तो दोस्तो, यह थी मेरी औरत बनने की आप बीती सत्य कथा !

आगे अब मेरी कहानियाँ आती रहेंगी।

तब तक के लिए आप सबके मोटे लम्बे लौड़ों को मेरी चूत का चुम्बन !

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