(Senior Citizen Ke Lund Ka Dum
सीनियर सिटिजन के लंड का दम
(Senior Citizen Ke Lund Ka Dum)
सीमा
हैलो फ्रेंड्स, मेरी पिछली सेक्स कहानी
सहेली ने मुझे रंडी बनाया
में आपने पढ़ा कि मैंने किस तरह से रंडी बन कर एक महा चोदू किस्म के आदमी से मन भर के चुदवाया था.
अब आगे..
मुझे उस दिन उस बूढ़े ने पूरी रात इतना चोदा कि चूत का भोसड़ा बन गया था.
फिर मैं जब उससे चुद कर वापस अपने घर आई तो मेरी चूत की आग शांत होने की जगह और भड़क गई थी. अब मुझे रोज चुदवाने का मन होने लगा था. उस बुड्डे ने मेरी सेक्स की आग को भड़का दिया था. अब मैं सोचती थी कि मुझे कोई रोज ही चोदे.
दो दिन बाद ही मुझे मेरे कॉंप्लेक्स के केयर टेकर की याद आई. वो भी एक उम्रदराज 65 साल के मजबूत काठी के सीनियर सिटीजन आदमी हैं. वो हमारे कॉंप्लेक्स के छत पर बने हुए एक बड़े से हॉल जैसे रूम में रहते हैं. ये हॉल कॉंप्लेक्स के सब लोगों के वेस्ट सामान को रखने के लिए बना है. ये एक बहुत बड़ा रूम है, सो उसका आधा भाग साफ करके वो केयर टेकर उसमें ही रहते हैं.
मेरा फ्लैट सबसे ऊपर की फ्लोर पर है. उस फ्लोर के बाकी के 3 फ्लैट बंद हैं, सो मेरे फ्लोर पे सिर्फ़ मैं हूँ.. और उसके ऊपर छत है. आपको मालूम ही है कि मैं भी अपने फ्लैट में अकेली ही रहती हूँ और रोज अपने कपड़े सुखाने ऊपर छत पर जाती हूँ.
मैंने उनको कई बार सिर्फ़ तौलिया में भी देखा है उनकी उम्र ज्यादा है लेकिन आज भी उनकी बॉडी फिट है.. उनके पूरी छाती पर सफेद घुंघराले बाल हैं.
अब जब मैंने एक बुड्डे की चुदाई की ताकत को महसूस कर लिया था तो मुझे विचार आया क्यों ना मैं इनको पटा लूँ. इससे मुझे रोज चुदाई का सुख भी मिलेगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा.
वो अंकल रात में दस बजे ऊपर आकर सो जाते थे. मेरी फ्लोर पर सीढ़ी के पास छत से नीचे आने के लिए एक ग्रिल का दरवाजा लगा है, वो लॉक करने से कोई ऊपर नहीं आ सकता था.
मैंने अब प्लान बनाना शुरू किया कि कैसे उनको पटाऊं. आज सुबह मैं जब कपड़े सूखने डालने के लिए गई तो मैंने जानबूझ कर एकदम शॉर्ट और स्लीवलैस टॉप.. खुला सा करके पहना, जिससे मेरी ब्रा साइड से दिखे.. और नीचे घुटनों तक आने वाला बरमूडा ही पहना था. चूंकि धोने के कारण कपड़े भीगे ही रहते थे, तो मैं ऊपर गीले कपड़े ही पहन कर चली गई. ताकि मेरे इन कपड़ों से उनको टॉप से ही मेरी ब्रा दिखती रहे.
इसी के साथ ही मैंने मेरी उतरी हुई ब्रा पेंटी, धीरे धीरे सब उनके रूम के दरवाजे के सामने ही लगी रस्सी पे सूखने डाल दीं.. जिसे वो देख सकें.
वो नहा कर ऊपर ही बैठे थे. मैं भी उनको तिरछी नज़र से देखती जा रही थी. जब मैं उनकी तरफ देखती.. तो वो सिर घुमा कर नज़र बदल देते थे. मतलब वो मुझे देख रहे थे.
ऐसा खेल मैंने एक दो दिन चालू रखा. अब वो भी अपना अंडरवियर बनियान सब रस्सी पे ही सुखाते थे.
एक दिन मैंने जानबूझ कर रस्सी तोड़ दी, जिससे मेरे कपड़ों के साथ उनके कपड़े भी नीचे गिरे. छत में धूल की वजह से कपड़े थोड़े गंदे हो गए.. चूंकि भीगे कपड़े थे.
मैं जानबूझ कर एकदम से बोली- उहह … ये भी अभी ही होना था.
मैंने सीधा उनकी ओर देखा और बोला- अंकल ये रस्सी टूट गई है.. प्लीज़ इसे फिर से बाँधने में मेरी मदद कीजिए.
वो लुंगी में ही थे, उन्होंने ऊपर कुछ नहीं पहना हुआ था.
अंकल बाहर आए तो मैंने बोला- आपके भी कपड़े खराब हो गए. मैं नीचे जाके वापस धोकर लाती हूँ और सुखा दूँगी.
फिर उन्होंने मुझे मदद की और हम दोनों ने मिल कर डोरी बाँध दी.
मैं फिर से सब कपड़े साफ करके वापस ऊपर आई. उनके अंडरवियर बनियान के साथ ही मैंने अपनी ब्रा पेंटी बगल में ही लटका कर सूखने टांग दी. ये उन्होंने भी देखा कि मैंने उनके अंडरवियर के लंड वाली जगह पर अपनी पेंटी डाली और बनियान के ऊपर अपनी ब्रा लटका दी.
इसके बाद मैंने देखा कि उनकी लुंगी एकदम तंबू बनी हुई थी. मैं एकदम से अपनी पीठ में हाथ को लेजा कर बोली- उहह.. कोई कीड़े ने काट लिया है.
ये कह कर मैं सीधा दौड़ कर छत पर एक कोने में बने बाथरूम में चली गई. ये बाथरूम का यूज वे अंकल ही करते हैं. मैं उसमें गई, उस बाथरूम का दरवाजा किसी वजह से पूरा बंद नहीं होता था, आधा खुला सा ही रहता था.
मैंने जानबूझ के अपना टॉप उतार दिया. मेरी चीख सुनकर अब तक वो भी बाथरूम तक आ गए थे और बाथरूम के बाहर खड़े होकर मुझे देखने लगे.
उन्होंने मुझे सिर्फ़ ब्रा में देखा और आवाज लगाकर पूछा- क्या हुआ?
मैंने बोला- अरे अंकल कोई चींटी मेरे अन्दर घुस गई थी.. शायद उसने ही काटा है मुझे.
ऐसा बोलते हुए मैंने देखा कि वो दरवाजे के बाहर खड़े थे. वो बाथरूम में अन्दर आ गए और उन्होंने मुझे कसकर अपनी बांहों में लिया.
मैं एकदम से नाटक करते हुए कहने लगी- अरे क्या कर रहे आप?
तो उन्होंने बोला- कब से देखता आ रहा हूँ तुम्हारी हरकतें.. चुदवाना है तो सीधे बोल ना.
उन्होंने मुझे अपनी छाती में भींचते हुए दबा लिया. मुझे एकदम राहत सी मिल गई. उनकी बड़ी सी छाती ने मुझे पूरा समा लिया था. मैंने भी कोई विरोध या ज़ोर नहीं लगाया तो वो समझ गए.
मैं अपनी स्वीकृति जैसी देते हुए उनकी बांहों में झूल गई.
अंकल ने मुझे चूम लिया और बोला- ठीक है मैं समझ गया.. लेकिन अभी नहीं.. अभी कोई देख लेगा.
यह कह कर उन्होंने मुझे छोड़ दिया. मैंने भी जल्दी से अपने टॉप को पहना और बाहर आ गई.
उन्होंने मुझसे सीधे बोला- कब चुदवाओगी?
मैंने भी खुल कर कह दिया बोला- आज रात में.. आप मेरे घर में आ जाना.
वो बोले- नहीं.. मैं घर में नहीं आऊंगा.. तुमको ऊपर आना होगा.
मैंने सर हां में हिला दिया.
मैं उनके रूम में देखने चली गई कि व्यवस्था क्या है. मैंने देखा उन्होंने आगे का हिस्सा साफ करके एक खटिया बिछा रखी थी. वे कमरे के एक कोने में अपनी रसोई बनाते थे.
मैंने बोला- एक काम कीजिए ना अंकल.. ये कपबोर्ड तो पुराने हैं इनको बिछा लीजिएगा. इधर बेडरूम जैसा सैट करके उस पर वहां गद्दे बिछा दीजिएगा.
उन्होंने मुझसे बोला- क्यों खटिया में मज़ा नहीं आएगा क्या?
ये कह कर अंकल ने मुझे किस कर लिया.
मैंने बोला- ठीक है आज खटिया में ही सही.. फिर ठीक नहीं लगेगा तो कल देखेंगे.
यह कह कर मैं नीचे आ गई, मुझे पूरा दिन उनका लंड ही दिख रहा था. मैं लंड के ही इंतजार में थी कि कब रात हो और मुझे मेरा लंड मिले.
मेरा टाइम कट नहीं रहा था, मैंने रात में नहा कर एकदम से अपनी चुत को क्रीम से बाल निकाल कर चिकनी बना ली. फिर मैंने ब्लैक कलर की फैंसी वाली ब्रा पेंटी, जिसमें बॉर्डर पर केसरिया कलर की डोरी लगी थी.. पहन के तैयार हुई. ब्रा पेंटी के ऊपर लाइट पिंक नाइटी पहन कर रेडी हो गई.
अभी रात 9 ही बजे थे. मुझे मालूम था कि वो ठीक दस बजे आएँगे. दस बज गए, लेकिन वो नहीं दिखे. मैं लंड के लिए बेताब हुई जा रही थी.
वो ठीक सवा दस बजे ऊपर आए. मैं दरवाजे पे ही खड़ी थी. मैं उनके लिए एकदम देसी घी का ड्राइ फ्रूट डाल कर गर्म गर्म दूध बना के तैयार थी.
जैसे ही अंकल ऊपर गए मैं दूध का गिलास लेकर पीछे से ऊपर आ गई. उन्होंने मुझे देखा, मैंने उनको धीरे से पूछा कि वो ग्रिल को लॉक कर दिया?
उन्होंने बोला- हां कर दिया.
वे अपने कमरे की तरफ बढ़ गए.
मैं उनके पीछे आ गई, रूम में जाते ही उन्होंने खटिया के ऊपर एक उनकी सफ़ेद रंग की लुंगी डाल ली.
मैंने बोला- पहले ये दूध पी लीजिए.. देसी घी में बनाया है.
वो बोले- ओह.. तुम खुद पिलाओ.
मैंने उनको अपने हाथ से उन्हें दूध पिलाया.
फिर उन्होंने बोला- तुम रुको.. मैं 5 मिनट में नहा कर आता हूँ.
वो तौलिया लेकर बाथरूम गए.
मैं खटिया के ऊपर बैठी थी. इतने में वो सिर्फ़ तौलिया में ही आ गए और रूम का दरवाजा लॉक कर लिया. अब वो भी खटिया पर बैठ गए और मुझे कसके अपनी बांहों में ले लिया. मैं भी उनको किस करने लगी, उन्होंने धीरे धीरे मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे चूचे दबाना शुरू किए.
उन्होंने अब मुझसे बोला- मेरी बीवी 25 साल पहले मर गई थी, तब से आज मैंने पहली बार किसी औरत को छुआ है.
ये कह कर अंकल ने अपना तौलिया खोल दिया.
बाप रे.. उनका लंड इतना लंबा और मोटा था या लौकी थी. ये देख कर मुझे अन्दर ही अन्दर खुशी होने लगी.
उन्होंने मेरी नाइटी खोली, फिर ब्रा उतार कर मेरे मम्मों को बारी बारी से मुँह में लेना शुरू कर दिया. मैंने अपने दूध अपने हाथों से दबा के बारी बारी से उनको चुसवाने लगी.
कुछ देर दूध चूसने के बाद अंकल ने मेरी पेंटी खोली और उसमें उनकी एक उंगली डाल दी. मेरी चुत इतने में ही एकदम गीली हो गई थी.
वो बोले- अरे तू तो एकदम तैयार है जानेमन..
यह कह कर अंकल ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा और कहा- इसे मुँह में ले लो.
मैंने धीरे से नीचे बैठ गई. अंकल ने खटिया के किनारे पैर फैला लिए. इससे उनका लंड बांस सा उठ गया. मैंने झट से उनका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
करीब 15 मिनट में तो उनका लंड एकदम लोहे जैसा कड़क हो गया. चचा गरम हो गए.. तो उन्होंने मुझे खटिया पे लिटाया और बन्दर सी फुर्ती दिखाते हुए वो मेरे ऊपर चढ़ गए. अंकल ने अपना तना हुआ लंड मेरी चुत के मुँह पर टिका दिया.
मैंने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर पहले अपनी चुत की फांकों में रगड़ा.. फिर उसे चुत के छेद पर रख कर उनको बोली- अब अन्दर डाल दीजिए.
उन्होंने पूछा- क्या डाल दूँ?
मैंने लंड को हिला कर कहा- इस मोटे लंड को मेरी चूत में पेल दो.
अंकल ने मेरे मुँह से लंड डालने की सुना तो एकदम से ठोकर मार दी.
अंकल के लंड का सुपारा बहुत ही मोटा था. चूत में जाने में थोड़ा दर्द हो रहा था. मैं थोड़ी सी चीखी.. फिर उन्होंने रुक कर थोड़ी देर ऐसे ही रहने दिया.
मैं शांत सी हुई तो अंकल ने एकदम से एक ज़ोरदार झटका मार के लंड अन्दर डाल दिया. मैं मचल गई और मेरे मुँह से दर्द भरी आवाज निकली- कितना गया?
उन्होंने बोला- अभी आधा गया.
मैं डर गई कि अभी आधे में तो चुत की माँ चुद गई.. पूरा घुसेगा तो क्या गांड में से निकल आएगा.
अंकल थोड़ी देर रुके.. फिर एक ज़ोर के झटके में उन्होंने अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया. मेरी साँस अटक गई.. और आँखों की पुतलियां फ़ैल गईं. कुछ पल रुकने के बाद अंकल ने धीरे धीरे ऊपर नीचे होना शुरू किया. जैसे ही वो ऊपर नीचे होते.. उनकी खटिया से चें पें की आवाज़ आ रही थी.
मैं बोली- ये टूट तो नहीं जाएगी?
उन्होंने बोला- नहीं, ये नहीं टूटेगी जानेमन.. तेरी चुत ज़रूर आज फट जाएगी. ऐसा लगता है, तेरे पति ने तुझे चोदा ही नहीं है. बड़ी कसी सी चूत है तेरी.
अब मैं भी उनकी कमर पे पीठ पे हाथ से सहलाए जा रही थी.. साथ ही उनको किस करती जा रही थी. अब तो वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे. मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था. मैं जिन्दगी में पहली बार खटिया पे चुदवा रही थी. खटिया की आवाज़ खूब हो रही थी.. ऐसा संगीत चुदाई के साथ बड़ा सुकून दे रही थी.
अंकल ने 20-25 मिनट तक मुझे चोदा. अब तक मैं दो बार झड़ चुकी थी. तभी अंकल ने एकदम तेज चुदाई शुरू कर दी थी और वे बोले- अब मेरा निकलने वाला है.
मैं कुछ कहती तभी एक जोरदार गर्म सैलाब सा मेरी चुत में निकल गया. मेरी चूत उनके पानी से भर गई. वो सीधा मेरे ऊपर ही लेट गए. उनका लंड मेरी चुत में फंसा हुआ था. दो मिनट में ही मुझे महसूस हुआ कि नीचे मेरी चुत से मेरा रस और उनका वीर्य बह रहा था. उनकी लुंगी और गद्दा.. जो खटिया पर बिछा था.. उसमें ही रस निकला जा रहा था.
कुछ देर बाद मैंने उनका लंड बाहर निकाल कर अपने मुँह से चाट कर साफ किया. फिर हम दोनों नंगे ही छत पर बने बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चुत और उनका लंड पानी से साफ कर दिया.
फिर हम वापस आकर खटिया से वो गीली लुंगी हटा कर फिर से चिपक कर एक दूसरे को बांहों में दबा कर लेट गए. दस मिनट बाद मैंने धीरे धीरे उनकी छाती पे क़िस करना शुरू कर दिया. वो चूमते हुए बोले- अभी मन नहीं भरा क्या.. चलो ठीक है एक बार और चोद देता हूँ!
बस हम दोनों ने फिर से चुदाई का खेल शुरू कर दिया.
उस पूरी रात में अंकल ने मुझे 5 बार चोदा. मैं सुबह में 6 बजे नीचे आकर सो गई.. और सीधा एक बजे उठी.
अब तो मैं रोज ही ऊपर चली जाती हूँ और पूरी रात में वो सीनियर सिटीजन मुझे 2 या 3 बार तो चोदते ही हैं.
अब तक की मेरी इस कहानी में मैंने आपको बताया था कि मेरे कॉंप्लेक्स के केयर टेकर अंकल मुझे रोज चोदते हैं. अब आगे की कहानी का मजा लें.
यह नवरात्रि की बात है, मुझे गरबा का खूब शौक है, मैं रोज तैयार होकर जाती हूँ. मुझे तैयार होते देख कर ही मेरे वो लवर केयर टेकर का तो लंड एकदम से खड़ा हो जाता था. उन दिनों मैं देर रात को जब 1 बजे वापस आती तो उनके पास जाती थी.
उनसे तो रहा ही नहीं जाता था और वे मुझे खूब जम कर चोदते थे.
एक दिन शाम में समय उनके एक दोस्त जाकिर अंकल उनके पास आए थे. फिर मुझे मेरे चोदू ने चाय बनाकर ऊपर लाने को बोला. मैं दोनों की चाय लेके गई तो मेरे केयर टेकर लवर ने बोला- सीमा ये मेरा ख़ास दोस्त है, जिसे मैं मेरी हर बात बताता हूँ. आज वो यहीं रुकेगा तो आज तुम उसके लिए एकदम बढ़िया खाना बनाना.
मैंने बोला- ठीक है.
लवर ने कहा- और हां सुनो.. ये सब तुम ऊपर यहां मेरे कमरे में ही बनाओ.
मैंने बोला- ठीक है.
फिर मैं साड़ी पहन कर गई और ऊपर ही उनके रूम में मैंने उनके लिए खाना बनाया. बिरयानी, खीर पूरी, बढ़िया सब्जी वगैरह बना कर उन दोनों को खिलाया.. मैंने खुद भी खाया.
अब मेरे लवर ने बोला- सीमा, आज तुम गरबा में ना जाओ तो अच्छा है. जाकिर भी तुम्हारा दीदार करना चाहता है.
जाकिर भी उम्र में मेरे लवर के जितने ही हैं. मैंने 8 बजे उन लोगों को खाना खिला दिया था. अब मैं अपने घर में आ गई. मैंने नहा कर एक नेवी ब्लू रंग की रेड बॉर्डर वाली चनिया चोली पहनी, जिसका ब्लाउज पीछे से एकदम ओपन था, सिर्फ़ एक पतली सी डोरी से ही बँधा था.. बाकी पूरी पीठ एकदम ओपन थी. वो पहन कर मैं तैयार हुई.
फिर मैंने मेरे लवर को कॉल किया- आप कहां हैं, मैं तैयार हो गई हूँ.
तो वो बोले- जानेमन, अभी हम दोनों नीचे आ गए हैं. दस बजे करीब हम ऊपर आएंगे और हां तुम ऊपर जाकर थोड़ा बेड एक सा ठीक कर दो, उस पर कोई नई सी चादर डालके उसे अपन तीनों के लिए तैयार कर दो.
मैंने चुदासी सी होकर बोला- ठीक है.
मैंने ऊपर जाकर एक सफेद चादर डाल कर बेड तैयार कर दिया और वापस आ गई.
आज दो से मिलने की सोच कर मेरा तो समय ही नहीं निकल रहा था. कुछ ही देर में मैंने फिर से कॉल किया कि मुझे रहा नहीं जाता.
तो वे बोले- अभी हम दोनों बाजार में हे तुम्हारी आज की मस्त चुदाई की तैयारी करने का सामान लेने गए हैं.
मैंने हैरान होकर बोला- ऐसा क्या??
तो वो हंस कर बोले- हां.. ऐसा.. तुम इन्तजार करो. मैं थोड़ी देर में आता हूँ और आकर सब बताता हूँ.
मैं ये सुन कर बेहाल हुई जा रही थी. ठीक 9.45 को मेरे लवर अकेले ऊपर आकर पहले मेरे घर पे आए और मुझे एक बड़ी पॉलीथीन की थैली पकड़ा दी.
मैंने पूछा- क्या है?
तो बोले- गुलाब हैं.. तुम ऊपर जाकर उसे बेड पे सजाकर तैयार करो और हां ये लो.
एक पैकेट देते हुए बोले- ये कॉफ़ी है.. तुम उसे दूध में उबाल कर अभी पी लो.. स्पेशल है.. खेलने में खूब मज़ा आएगा.
मैंने पैकेट पर देखा तो उस पर कुछ दवा जैसा नाम लिखा था. वो कोई सेक्स बढ़ाने वाली दवाई जैसा सामान ही था. मैं थोड़ी उनकी और देख के मुस्कुराई.
तो वे बोले- ये देखो… स्वीट है, इसे डिश में लेकर तुम ऊपर आ जाना.. हम दोनों 10 या 10.15 तक आ जाएंगे.. ओके जान!
इसके बाद उन्होंने मुझे कसके अपनी बाँहों में लेकर खूब किस किया मेरे होंठों पर, गाल पर साथ में मेरे बूब्स भी दबाए. मैं गनगना उठी.
फिर वो नीचे चले गए, मैंने ऊपर जाकर बेड सजा दिया.. एकदम सुहागरात जैसी फीलिंग आने लगी थी. फिर एक डिश में वो जो गुलाब जामुन लाए थे, उन्हें निकाल के रखा.
फिर मैंने उन्हें कॉल किया कि सब तैयार है.. आप को आने में कितनी देर होगी?
वो बोले- थोड़ा इंतजार करो जानेमन.. अभी आते हैं.
मैं अपने पैर में पायल, कमर में कमरबंद.. हाथ में बहुत से कंगन.. कानों में बजने वाली झुमके.. ये सब पहन कर तैयार हो चुकी थी.. और उन का वेट कर रही थी.
इतने समय तक वो कॉफ़ी भी अपना असर दिखा रही थी. मेरे बदन में आग लग गई थी.
ठीक 10.15 को वो दोनों ऊपर आए और छत का दरवाजा अन्दर आकर बंद किया. मैं छत में चक्कर लगा रही थी. उन दोनों ने आते ही मुझे बांहों में लेकर किस किया और रूम में लेकर आ गए.
मुझे बिस्तर पर बिठाया और दोनों ने गुलाब जामुन लेकर मुझे खिलाना शुरू किए. मैंने दोनों से आधा आधा गुलाब जामुन ख़ाकर आधा उन दोनों को भी खिलाया. वो दोनों मेरे दोनों ओर बैठ गए थे.
अब धीरे धीरे मेरे लवर ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने पजामे के ऊपर लगाया. बापरे आज तो उनका अभी से ही एकदम कड़क हो गया था. मेरा दूसरा हाथ जाकिर अंकल ने पकड़ के उनके पज़ामे पर रखा. उनका तो मेरे लवर से भी ज़्यादा कड़क था. मैंने ऊपर से ही दोनों के लंड सहलाना शुरू किए.
फिर मैंने अपने बदन से सब जो पहना था, ज़ेवर आदि.. वो निकालना शुरू किया. मैंने चोली के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी, जाकिर ने मेरे पीछे से डोरी खोल कर चोली खोल दी और निकाल दी. उधर मेरे लवर ने मेरी चनिया का नाड़ा खोल कर उसे भी निकाल दिया.
अब मैं सिर्फ़ पेंटी में रह गई थी. मैंने दोनों के कुर्ता पजामे निकाल दिए. अंडरवियर में उनके लंड ऐसे दिख रहे थे कि अभी फाड़ के बाहर आ जाएँगे. इतने कड़क लंड थे.
अब मैं बेड पर बैठी और वो दोनों बेड पर चढ़ कर खड़े हो गए, जिससे दोनों के लंड मेरे मुँह पर आ गए और मैं बारी बारी से दोनों के लंड मुँह में लेके चूसने लगी. आज तो मेरे लवर का लंड भी एकदम बेकाबू हो रहा था. ऐसे मैंने दोनों के लंड करीबन 15 मिनट तक चूसे.
फिर दोनों ने मुझे बेड पर लिटा दिया और जाकिर अंकल ने मेरी चुत पर मुँह लगा कर चुत चूसना शुरू कर दिया. मेरे लवर मेरे पास आकर मेरे मम्मों को चूसना शुरू किया. उन्होंने जैसे ही चूसना शुरू किया, मेरा पानी निकल गया और मेरी चुत एकदम से गीली गीली हो गई. निप्पल भी बहुत कड़क हो उठे थे.
उनको मेरे लवर धीरे धीरे से काटते हुए खींच कर चूस रहे थे.
अब मैं और अधिक बेहाल हो रही थी, मैं बोली- अब रुका नहीं जाता.. जल्दी से अन्दर डालो.. मुझसे सहा नहीं जा रहा है.
तो मेरे लवर ने बोला- जाकिर, चलो पहले तुम अपना लंड पेलो.
जाकिर अंकल ने मेरे ऊपर आकर लंड को चुत की फांकों में रखा. मैंने अपने हाथ से उसे चुत के होल पे थोड़ा घिसा, फिर बोला- हम्म.. अब अन्दर डालो जानू.. डालो जल्दी..
ये सुनते ही उन्होंने एक ज़ोर से झटका मारा और लंड घुसा ही था कि मेरे मुँह से ज़ोर से चीख निकली- मर गई.. बचाओ..
इसी बीच एक ही बार में उनका पूरा लंड अन्दर चला गया.
उधर मेरे लवर मेरे बूब्स पी रहे थे. मैं उनकी छाती और पेट को सहला रही थी. अब जाकिर अंकल ज़ोर ज़ोर से मुझे चोद रहे थे.
मैं बोल रही थी- आह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… और करो और तेज करो.. आज मेरी चुत फाड़ दो.. मुझे रहा नहीं जाता.. डालो और ज़ोर से और ज़ोर से चोदो मुझे..
करीब बीस मिनट तक ज़ोर ज़ोर से उन्होंने मुझे पेला. मैं तब तक 2 बार पानी छोड़ चुकी थी.
मेरी चुत से ‘पुच्छ पुच्छ..’ आवाज आ रही थी. वे झटके ऐसे मार रहे थे कि मेरा पूरा लंड बाहर तक निकल कर ज़ोर से अन्दर तक आ रहा था.
अब वो तेज हुए और बोले- मेरा निकलने वाला है.. कहां निकालूँ?
मेरे लवर बोले- आज तो तुम्हारा पहली बार है.. जाकिर सीमा की चुत में ही निकल जाओ.
तभी एक सैलाब सा मेरी चुत में पूरा निकल गया. उनका रस मेरी चुत को गरम सा करते हुए.. पूरी चुत उनके पानी से भर गई. वो मेरे ऊपर ही लेट गए. उनका लंड अभी भी मेरी चूत में अन्दर ही था.
दस मिनट बाद वे उठे तो चुत में से उनका रस और मेरी चुत का रस बह रहा था. मेरे लवर बोले- यूं तो ये वेस्ट हो जाएगा सीमा. उन्होंने झट से एक कटोरी में उस रस को चुत में उंगली करके निकाला. फिर उन्होंने मुझे कटोरी दी और बोले- ये बहुत कीमती अमृत है, इसे बर्बाद मत होने दो सीमा.. लो पी लो.
मैंने कटोरी लेकर अपनी जीभ से पूरे नमकीन रस को चाट गई और जाकिर अंकल का लंड भी चाट कर साफ किया.
उधर मेरे लवर का लंड अन्दर जाने को एकदम तैयार था.
मैं बोली- अभी चुत धोकर आती हूँ.
तो वो बोले- अरे नहीं आज मैं तुम्हारे नए होल की सील खोलूँगा.
ऐसा बोल कर वो मेरे पीछे आ गए और मुझे कमर से पकड़ के अपने शरीर से चिपका लिया. मुझे मेरी गांड पर उनका लंडा महसूस होने लगा.
मैंने उनसे बोला- जान धीरे से डालना.. कहीं फट न जाए.
वो मुस्कुराते हुए मेरी पीठ पे किस करते और आगे हाथ डालकर बूब्स को मसलते हुए बोले- आज फट जाने दो जान.. आज तो मैं अपनी बरसों की तमन्ना पूरी करके रहूँगा.
तब जाकिर अंकल आ गए और मेरे पास लेट गए. मैंने उनके सिर को मेरे बूब्स के पास लेकर अपने निप्पल उनके मुँह में डाल दिया और उनसे दूध चुसवाने लगी.
अब मेरे लवर ने धीरे से उनका लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद में डाल कर ज़ोर से पुश करना शुरू किया.
मैं बोली- बहुत दर्द हो रहा है जानू.
लेकिन उन्होंने मेरी कोई बात नहीं सुनी. पर लंड मोटा था और मेरी गांड का फूल सुकड़ा हुआ था, इसलिए लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था.
फिर उन्होंने मुझे बेड पे एकदम उल्टा लेटाया और वो मेरे ऊपर आ गए.
अपने लंड को उन्होंने अपने थूक से पूरा गीला किया और वो मेरे ऊपर सीधा चढ़ गए. अपने लंड को मेरी गांड में एक ज़ोर के झटके से डाल दिया. मेरी जान निकल रही थी.. मुझे लग रहा था कि मेरी गांड आज फट गई.. इतना दर्द हो रहा था.
मैंने धीरे से पूछा- उन्न्ह्ह.. कितना गया?
वो बोले- आधा गया है जानेमन.. एक और अगले झटके में आज पूरा घुस जाएगा.
उन्होंने फिर से एक ज़ोर का झटका देके मेरी गांड में पूरा लंड अन्दर तक पेल दिया. फिर मेरे ऊपर अपना पूरा वजन डाल कर ऊपर ही लेट गए. दस मिनट धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया. अब मुझे भी थोड़ा मज़ा आना शुरू हुआ था. उन्होंने भी ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाना शुरू किया.
वो बोले- चलो सीमा, अब मैं बेड पे लेटता हूँ.. तुम ऊपर बैठ कर पूरा लंड अपनी गांड में लेकर खुद अन्दर बाहर करो.. जिससे जाकिर भी तुम्हें अपना लंड गांड मराने के भी साथ में चुसवा सके.
मैं खड़ी होके उनके ऊपर बैठ गई और अपने हाथ से लंड को अपनी गांड में डालकर लेने लगी. जाकिर अंकल खड़े होकर लंड हिलाने लगे. वे अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर चुसवा रहे थे. मैं ज़ोर से ऊपर नीचे करते हुए अपनी गांड को उछाल कर पूरा लंड ले रही थी.
ऐसा खेल तीस मिनट तक चला. अब उनका लंड रस निकालने वाला था. उन्होंने मेरी गांड में ही पानी निकाल दिया.
अब मेरी गांड से उनका पानी बह रहा था. साथ में थोड़ा खून भी निकल रहा था. मैंने चादर में देखा तो वीर्य के और थोड़े खून के धब्बे बने थे. दोनों का खूब वीर्य निकला था. सो चादर काफ़ी भीगी हुई थी.
अब मुझे मेरे लवर बोले- जाओ सीमा अपनी गांड और चुत साफ करके आ जाओ. मैं नंगी ही छत के बाथरूम में जाकर अपने गांड और चुत धोकर आ गई.
वो जाकिर से बोले- अब तुम अपना लंड सीमा की गांड में डालो. मैं तो अब उसका दूध पियूंगा.
मैंने जाकिर अंकल का लंड मुँह में लेके मेरे थूक से गीला किया और जाकिर से मेरे पीछे से लंड टिका कर मेरी गांड में पेल दिया. आगे से मेरे लवर मेरे बूब्स पीने लगे.
उन्होंने अपना लंड पेल कर पूरे 30 मिनट तक मेरी गांड मारी.
फिर बोले- अब पानी निकलने वाला है.
मैंने सामने से बोला- उसे मेरे मुँह में गिरा दीजिए.
उन्होंने अपना मुँह मेरे लंड पे रख के पानी निकाला और मैं पूरा पानी पी गई. उनका लंड भी चाट कर साफ कर दिया.
अब मैं तो पूरी पस्त हो गई थी. मेरा बदन, मेरी चुत, मेरी गांड सब दर्द कर रहा था. उन दोनों का लंड तो अभी भी तैयार ही था.
मैं बोली- आज क्या खाया है, जो इतना तैयार है?
वो दोनों हंसते हुए बोले- जानेमन, तुमको जो दवाई खिलाई, वैसे ही हमने भी एक एक गोली खाई है.. आज तेरी पूरी तड़प जो मिटानी है.
फिर से दोनों मेरे बूब्स दबाने लगे.. किस करने लगे. मैं भी दोनों के लंड एक एक करके मुँह में लेने लगी. पूरी रात में उन दोनों ने मुझे 2 बार गांड में और 6 बार चुत में डाल कर चोदा. मैं सुबह तक बेहाल हो गई थी, लेकिन जो मज़ा मिला था.. उससे मैं खुश थी.
फिर मैं नीचे गई, नहा कर उन दोनों के लिए नाश्ता चाय बनाया और लेकर ऊपर गई. हम तीनों ने नाश्ता किया. फिर उनके फ़्रेंड जाकिर अंकल निकल गए और मैं और मेरे लवर रूम में थे.
बेड एकदम बिखर गया था.. गुलाब की पंखुड़ियां पूरे रूम में पड़ी थीं. चादर तो समझो पूरे चिकने धब्बे वाली हुई पड़ी थी. मेरी चनिया चोली भी उनके वीर्य वाली हो गई थी.
वो सब अभी में ठीक कर ही रही थी कि मेरे लवर ने मुझे पीछे से कसके बांहों में भर लिया और चूमने लगे.
मैं बोली- पूरी रात किया.. फिर भी मन नहीं भरा?
वो बोले- तुम हो ही ऐसी चीज़ कि लंड खड़ा हो जाता है.
फिर उन्होंने मेरी कैपरी में उंगली डाल दी और बोले- देखो ना तुम्हारी चूत तो अभी भी एकदम गीली है.. तुम भी तो लंड के लिए तैयार हो.
मैं धीरे से बोली- अरे छत का दरवाजा खुला है.. बंद करके आओ.
वो दरवाजा बंद करने गए, मैं नंगी हो गई और फिर उन्होंने मुझे फिर से एक बार जमके चोदा और पूरा वीर्य मेरे मुँह में निकाल दिया. मैं लंड मुँह में लेकर रस पी गई.
फ़िर सब कपड़े लेके धोने के लिए घर आ गई.
तो यारो, आपको मेरी गांड में लंड की कहानी कैसी लगी.. ज़रूर बताना. जल्दी ही एक नयी कहानी लेकर आऊंगी. बाय.
(Senior Citizen Ke Lund Ka Dum)
सीमा
हैलो फ्रेंड्स, मेरी पिछली सेक्स कहानी
सहेली ने मुझे रंडी बनाया
में आपने पढ़ा कि मैंने किस तरह से रंडी बन कर एक महा चोदू किस्म के आदमी से मन भर के चुदवाया था.
अब आगे..
मुझे उस दिन उस बूढ़े ने पूरी रात इतना चोदा कि चूत का भोसड़ा बन गया था.
फिर मैं जब उससे चुद कर वापस अपने घर आई तो मेरी चूत की आग शांत होने की जगह और भड़क गई थी. अब मुझे रोज चुदवाने का मन होने लगा था. उस बुड्डे ने मेरी सेक्स की आग को भड़का दिया था. अब मैं सोचती थी कि मुझे कोई रोज ही चोदे.
दो दिन बाद ही मुझे मेरे कॉंप्लेक्स के केयर टेकर की याद आई. वो भी एक उम्रदराज 65 साल के मजबूत काठी के सीनियर सिटीजन आदमी हैं. वो हमारे कॉंप्लेक्स के छत पर बने हुए एक बड़े से हॉल जैसे रूम में रहते हैं. ये हॉल कॉंप्लेक्स के सब लोगों के वेस्ट सामान को रखने के लिए बना है. ये एक बहुत बड़ा रूम है, सो उसका आधा भाग साफ करके वो केयर टेकर उसमें ही रहते हैं.
मेरा फ्लैट सबसे ऊपर की फ्लोर पर है. उस फ्लोर के बाकी के 3 फ्लैट बंद हैं, सो मेरे फ्लोर पे सिर्फ़ मैं हूँ.. और उसके ऊपर छत है. आपको मालूम ही है कि मैं भी अपने फ्लैट में अकेली ही रहती हूँ और रोज अपने कपड़े सुखाने ऊपर छत पर जाती हूँ.
मैंने उनको कई बार सिर्फ़ तौलिया में भी देखा है उनकी उम्र ज्यादा है लेकिन आज भी उनकी बॉडी फिट है.. उनके पूरी छाती पर सफेद घुंघराले बाल हैं.
अब जब मैंने एक बुड्डे की चुदाई की ताकत को महसूस कर लिया था तो मुझे विचार आया क्यों ना मैं इनको पटा लूँ. इससे मुझे रोज चुदाई का सुख भी मिलेगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा.
वो अंकल रात में दस बजे ऊपर आकर सो जाते थे. मेरी फ्लोर पर सीढ़ी के पास छत से नीचे आने के लिए एक ग्रिल का दरवाजा लगा है, वो लॉक करने से कोई ऊपर नहीं आ सकता था.
मैंने अब प्लान बनाना शुरू किया कि कैसे उनको पटाऊं. आज सुबह मैं जब कपड़े सूखने डालने के लिए गई तो मैंने जानबूझ कर एकदम शॉर्ट और स्लीवलैस टॉप.. खुला सा करके पहना, जिससे मेरी ब्रा साइड से दिखे.. और नीचे घुटनों तक आने वाला बरमूडा ही पहना था. चूंकि धोने के कारण कपड़े भीगे ही रहते थे, तो मैं ऊपर गीले कपड़े ही पहन कर चली गई. ताकि मेरे इन कपड़ों से उनको टॉप से ही मेरी ब्रा दिखती रहे.
इसी के साथ ही मैंने मेरी उतरी हुई ब्रा पेंटी, धीरे धीरे सब उनके रूम के दरवाजे के सामने ही लगी रस्सी पे सूखने डाल दीं.. जिसे वो देख सकें.
वो नहा कर ऊपर ही बैठे थे. मैं भी उनको तिरछी नज़र से देखती जा रही थी. जब मैं उनकी तरफ देखती.. तो वो सिर घुमा कर नज़र बदल देते थे. मतलब वो मुझे देख रहे थे.
ऐसा खेल मैंने एक दो दिन चालू रखा. अब वो भी अपना अंडरवियर बनियान सब रस्सी पे ही सुखाते थे.
एक दिन मैंने जानबूझ कर रस्सी तोड़ दी, जिससे मेरे कपड़ों के साथ उनके कपड़े भी नीचे गिरे. छत में धूल की वजह से कपड़े थोड़े गंदे हो गए.. चूंकि भीगे कपड़े थे.
मैं जानबूझ कर एकदम से बोली- उहह … ये भी अभी ही होना था.
मैंने सीधा उनकी ओर देखा और बोला- अंकल ये रस्सी टूट गई है.. प्लीज़ इसे फिर से बाँधने में मेरी मदद कीजिए.
वो लुंगी में ही थे, उन्होंने ऊपर कुछ नहीं पहना हुआ था.
अंकल बाहर आए तो मैंने बोला- आपके भी कपड़े खराब हो गए. मैं नीचे जाके वापस धोकर लाती हूँ और सुखा दूँगी.
फिर उन्होंने मुझे मदद की और हम दोनों ने मिल कर डोरी बाँध दी.
मैं फिर से सब कपड़े साफ करके वापस ऊपर आई. उनके अंडरवियर बनियान के साथ ही मैंने अपनी ब्रा पेंटी बगल में ही लटका कर सूखने टांग दी. ये उन्होंने भी देखा कि मैंने उनके अंडरवियर के लंड वाली जगह पर अपनी पेंटी डाली और बनियान के ऊपर अपनी ब्रा लटका दी.
इसके बाद मैंने देखा कि उनकी लुंगी एकदम तंबू बनी हुई थी. मैं एकदम से अपनी पीठ में हाथ को लेजा कर बोली- उहह.. कोई कीड़े ने काट लिया है.
ये कह कर मैं सीधा दौड़ कर छत पर एक कोने में बने बाथरूम में चली गई. ये बाथरूम का यूज वे अंकल ही करते हैं. मैं उसमें गई, उस बाथरूम का दरवाजा किसी वजह से पूरा बंद नहीं होता था, आधा खुला सा ही रहता था.
मैंने जानबूझ के अपना टॉप उतार दिया. मेरी चीख सुनकर अब तक वो भी बाथरूम तक आ गए थे और बाथरूम के बाहर खड़े होकर मुझे देखने लगे.
उन्होंने मुझे सिर्फ़ ब्रा में देखा और आवाज लगाकर पूछा- क्या हुआ?
मैंने बोला- अरे अंकल कोई चींटी मेरे अन्दर घुस गई थी.. शायद उसने ही काटा है मुझे.
ऐसा बोलते हुए मैंने देखा कि वो दरवाजे के बाहर खड़े थे. वो बाथरूम में अन्दर आ गए और उन्होंने मुझे कसकर अपनी बांहों में लिया.
मैं एकदम से नाटक करते हुए कहने लगी- अरे क्या कर रहे आप?
तो उन्होंने बोला- कब से देखता आ रहा हूँ तुम्हारी हरकतें.. चुदवाना है तो सीधे बोल ना.
उन्होंने मुझे अपनी छाती में भींचते हुए दबा लिया. मुझे एकदम राहत सी मिल गई. उनकी बड़ी सी छाती ने मुझे पूरा समा लिया था. मैंने भी कोई विरोध या ज़ोर नहीं लगाया तो वो समझ गए.
मैं अपनी स्वीकृति जैसी देते हुए उनकी बांहों में झूल गई.
अंकल ने मुझे चूम लिया और बोला- ठीक है मैं समझ गया.. लेकिन अभी नहीं.. अभी कोई देख लेगा.
यह कह कर उन्होंने मुझे छोड़ दिया. मैंने भी जल्दी से अपने टॉप को पहना और बाहर आ गई.
उन्होंने मुझसे सीधे बोला- कब चुदवाओगी?
मैंने भी खुल कर कह दिया बोला- आज रात में.. आप मेरे घर में आ जाना.
वो बोले- नहीं.. मैं घर में नहीं आऊंगा.. तुमको ऊपर आना होगा.
मैंने सर हां में हिला दिया.
मैं उनके रूम में देखने चली गई कि व्यवस्था क्या है. मैंने देखा उन्होंने आगे का हिस्सा साफ करके एक खटिया बिछा रखी थी. वे कमरे के एक कोने में अपनी रसोई बनाते थे.
मैंने बोला- एक काम कीजिए ना अंकल.. ये कपबोर्ड तो पुराने हैं इनको बिछा लीजिएगा. इधर बेडरूम जैसा सैट करके उस पर वहां गद्दे बिछा दीजिएगा.
उन्होंने मुझसे बोला- क्यों खटिया में मज़ा नहीं आएगा क्या?
ये कह कर अंकल ने मुझे किस कर लिया.
मैंने बोला- ठीक है आज खटिया में ही सही.. फिर ठीक नहीं लगेगा तो कल देखेंगे.
यह कह कर मैं नीचे आ गई, मुझे पूरा दिन उनका लंड ही दिख रहा था. मैं लंड के ही इंतजार में थी कि कब रात हो और मुझे मेरा लंड मिले.
मेरा टाइम कट नहीं रहा था, मैंने रात में नहा कर एकदम से अपनी चुत को क्रीम से बाल निकाल कर चिकनी बना ली. फिर मैंने ब्लैक कलर की फैंसी वाली ब्रा पेंटी, जिसमें बॉर्डर पर केसरिया कलर की डोरी लगी थी.. पहन के तैयार हुई. ब्रा पेंटी के ऊपर लाइट पिंक नाइटी पहन कर रेडी हो गई.
अभी रात 9 ही बजे थे. मुझे मालूम था कि वो ठीक दस बजे आएँगे. दस बज गए, लेकिन वो नहीं दिखे. मैं लंड के लिए बेताब हुई जा रही थी.
वो ठीक सवा दस बजे ऊपर आए. मैं दरवाजे पे ही खड़ी थी. मैं उनके लिए एकदम देसी घी का ड्राइ फ्रूट डाल कर गर्म गर्म दूध बना के तैयार थी.
जैसे ही अंकल ऊपर गए मैं दूध का गिलास लेकर पीछे से ऊपर आ गई. उन्होंने मुझे देखा, मैंने उनको धीरे से पूछा कि वो ग्रिल को लॉक कर दिया?
उन्होंने बोला- हां कर दिया.
वे अपने कमरे की तरफ बढ़ गए.
मैं उनके पीछे आ गई, रूम में जाते ही उन्होंने खटिया के ऊपर एक उनकी सफ़ेद रंग की लुंगी डाल ली.
मैंने बोला- पहले ये दूध पी लीजिए.. देसी घी में बनाया है.
वो बोले- ओह.. तुम खुद पिलाओ.
मैंने उनको अपने हाथ से उन्हें दूध पिलाया.
फिर उन्होंने बोला- तुम रुको.. मैं 5 मिनट में नहा कर आता हूँ.
वो तौलिया लेकर बाथरूम गए.
मैं खटिया के ऊपर बैठी थी. इतने में वो सिर्फ़ तौलिया में ही आ गए और रूम का दरवाजा लॉक कर लिया. अब वो भी खटिया पर बैठ गए और मुझे कसके अपनी बांहों में ले लिया. मैं भी उनको किस करने लगी, उन्होंने धीरे धीरे मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे चूचे दबाना शुरू किए.
उन्होंने अब मुझसे बोला- मेरी बीवी 25 साल पहले मर गई थी, तब से आज मैंने पहली बार किसी औरत को छुआ है.
ये कह कर अंकल ने अपना तौलिया खोल दिया.
बाप रे.. उनका लंड इतना लंबा और मोटा था या लौकी थी. ये देख कर मुझे अन्दर ही अन्दर खुशी होने लगी.
उन्होंने मेरी नाइटी खोली, फिर ब्रा उतार कर मेरे मम्मों को बारी बारी से मुँह में लेना शुरू कर दिया. मैंने अपने दूध अपने हाथों से दबा के बारी बारी से उनको चुसवाने लगी.
कुछ देर दूध चूसने के बाद अंकल ने मेरी पेंटी खोली और उसमें उनकी एक उंगली डाल दी. मेरी चुत इतने में ही एकदम गीली हो गई थी.
वो बोले- अरे तू तो एकदम तैयार है जानेमन..
यह कह कर अंकल ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा और कहा- इसे मुँह में ले लो.
मैंने धीरे से नीचे बैठ गई. अंकल ने खटिया के किनारे पैर फैला लिए. इससे उनका लंड बांस सा उठ गया. मैंने झट से उनका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
करीब 15 मिनट में तो उनका लंड एकदम लोहे जैसा कड़क हो गया. चचा गरम हो गए.. तो उन्होंने मुझे खटिया पे लिटाया और बन्दर सी फुर्ती दिखाते हुए वो मेरे ऊपर चढ़ गए. अंकल ने अपना तना हुआ लंड मेरी चुत के मुँह पर टिका दिया.
मैंने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर पहले अपनी चुत की फांकों में रगड़ा.. फिर उसे चुत के छेद पर रख कर उनको बोली- अब अन्दर डाल दीजिए.
उन्होंने पूछा- क्या डाल दूँ?
मैंने लंड को हिला कर कहा- इस मोटे लंड को मेरी चूत में पेल दो.
अंकल ने मेरे मुँह से लंड डालने की सुना तो एकदम से ठोकर मार दी.
अंकल के लंड का सुपारा बहुत ही मोटा था. चूत में जाने में थोड़ा दर्द हो रहा था. मैं थोड़ी सी चीखी.. फिर उन्होंने रुक कर थोड़ी देर ऐसे ही रहने दिया.
मैं शांत सी हुई तो अंकल ने एकदम से एक ज़ोरदार झटका मार के लंड अन्दर डाल दिया. मैं मचल गई और मेरे मुँह से दर्द भरी आवाज निकली- कितना गया?
उन्होंने बोला- अभी आधा गया.
मैं डर गई कि अभी आधे में तो चुत की माँ चुद गई.. पूरा घुसेगा तो क्या गांड में से निकल आएगा.
अंकल थोड़ी देर रुके.. फिर एक ज़ोर के झटके में उन्होंने अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया. मेरी साँस अटक गई.. और आँखों की पुतलियां फ़ैल गईं. कुछ पल रुकने के बाद अंकल ने धीरे धीरे ऊपर नीचे होना शुरू किया. जैसे ही वो ऊपर नीचे होते.. उनकी खटिया से चें पें की आवाज़ आ रही थी.
मैं बोली- ये टूट तो नहीं जाएगी?
उन्होंने बोला- नहीं, ये नहीं टूटेगी जानेमन.. तेरी चुत ज़रूर आज फट जाएगी. ऐसा लगता है, तेरे पति ने तुझे चोदा ही नहीं है. बड़ी कसी सी चूत है तेरी.
अब मैं भी उनकी कमर पे पीठ पे हाथ से सहलाए जा रही थी.. साथ ही उनको किस करती जा रही थी. अब तो वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे. मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था. मैं जिन्दगी में पहली बार खटिया पे चुदवा रही थी. खटिया की आवाज़ खूब हो रही थी.. ऐसा संगीत चुदाई के साथ बड़ा सुकून दे रही थी.
अंकल ने 20-25 मिनट तक मुझे चोदा. अब तक मैं दो बार झड़ चुकी थी. तभी अंकल ने एकदम तेज चुदाई शुरू कर दी थी और वे बोले- अब मेरा निकलने वाला है.
मैं कुछ कहती तभी एक जोरदार गर्म सैलाब सा मेरी चुत में निकल गया. मेरी चूत उनके पानी से भर गई. वो सीधा मेरे ऊपर ही लेट गए. उनका लंड मेरी चुत में फंसा हुआ था. दो मिनट में ही मुझे महसूस हुआ कि नीचे मेरी चुत से मेरा रस और उनका वीर्य बह रहा था. उनकी लुंगी और गद्दा.. जो खटिया पर बिछा था.. उसमें ही रस निकला जा रहा था.
कुछ देर बाद मैंने उनका लंड बाहर निकाल कर अपने मुँह से चाट कर साफ किया. फिर हम दोनों नंगे ही छत पर बने बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चुत और उनका लंड पानी से साफ कर दिया.
फिर हम वापस आकर खटिया से वो गीली लुंगी हटा कर फिर से चिपक कर एक दूसरे को बांहों में दबा कर लेट गए. दस मिनट बाद मैंने धीरे धीरे उनकी छाती पे क़िस करना शुरू कर दिया. वो चूमते हुए बोले- अभी मन नहीं भरा क्या.. चलो ठीक है एक बार और चोद देता हूँ!
बस हम दोनों ने फिर से चुदाई का खेल शुरू कर दिया.
उस पूरी रात में अंकल ने मुझे 5 बार चोदा. मैं सुबह में 6 बजे नीचे आकर सो गई.. और सीधा एक बजे उठी.
अब तो मैं रोज ही ऊपर चली जाती हूँ और पूरी रात में वो सीनियर सिटीजन मुझे 2 या 3 बार तो चोदते ही हैं.
अब तक की मेरी इस कहानी में मैंने आपको बताया था कि मेरे कॉंप्लेक्स के केयर टेकर अंकल मुझे रोज चोदते हैं. अब आगे की कहानी का मजा लें.
यह नवरात्रि की बात है, मुझे गरबा का खूब शौक है, मैं रोज तैयार होकर जाती हूँ. मुझे तैयार होते देख कर ही मेरे वो लवर केयर टेकर का तो लंड एकदम से खड़ा हो जाता था. उन दिनों मैं देर रात को जब 1 बजे वापस आती तो उनके पास जाती थी.
उनसे तो रहा ही नहीं जाता था और वे मुझे खूब जम कर चोदते थे.
एक दिन शाम में समय उनके एक दोस्त जाकिर अंकल उनके पास आए थे. फिर मुझे मेरे चोदू ने चाय बनाकर ऊपर लाने को बोला. मैं दोनों की चाय लेके गई तो मेरे केयर टेकर लवर ने बोला- सीमा ये मेरा ख़ास दोस्त है, जिसे मैं मेरी हर बात बताता हूँ. आज वो यहीं रुकेगा तो आज तुम उसके लिए एकदम बढ़िया खाना बनाना.
मैंने बोला- ठीक है.
लवर ने कहा- और हां सुनो.. ये सब तुम ऊपर यहां मेरे कमरे में ही बनाओ.
मैंने बोला- ठीक है.
फिर मैं साड़ी पहन कर गई और ऊपर ही उनके रूम में मैंने उनके लिए खाना बनाया. बिरयानी, खीर पूरी, बढ़िया सब्जी वगैरह बना कर उन दोनों को खिलाया.. मैंने खुद भी खाया.
अब मेरे लवर ने बोला- सीमा, आज तुम गरबा में ना जाओ तो अच्छा है. जाकिर भी तुम्हारा दीदार करना चाहता है.
जाकिर भी उम्र में मेरे लवर के जितने ही हैं. मैंने 8 बजे उन लोगों को खाना खिला दिया था. अब मैं अपने घर में आ गई. मैंने नहा कर एक नेवी ब्लू रंग की रेड बॉर्डर वाली चनिया चोली पहनी, जिसका ब्लाउज पीछे से एकदम ओपन था, सिर्फ़ एक पतली सी डोरी से ही बँधा था.. बाकी पूरी पीठ एकदम ओपन थी. वो पहन कर मैं तैयार हुई.
फिर मैंने मेरे लवर को कॉल किया- आप कहां हैं, मैं तैयार हो गई हूँ.
तो वो बोले- जानेमन, अभी हम दोनों नीचे आ गए हैं. दस बजे करीब हम ऊपर आएंगे और हां तुम ऊपर जाकर थोड़ा बेड एक सा ठीक कर दो, उस पर कोई नई सी चादर डालके उसे अपन तीनों के लिए तैयार कर दो.
मैंने चुदासी सी होकर बोला- ठीक है.
मैंने ऊपर जाकर एक सफेद चादर डाल कर बेड तैयार कर दिया और वापस आ गई.
आज दो से मिलने की सोच कर मेरा तो समय ही नहीं निकल रहा था. कुछ ही देर में मैंने फिर से कॉल किया कि मुझे रहा नहीं जाता.
तो वे बोले- अभी हम दोनों बाजार में हे तुम्हारी आज की मस्त चुदाई की तैयारी करने का सामान लेने गए हैं.
मैंने हैरान होकर बोला- ऐसा क्या??
तो वो हंस कर बोले- हां.. ऐसा.. तुम इन्तजार करो. मैं थोड़ी देर में आता हूँ और आकर सब बताता हूँ.
मैं ये सुन कर बेहाल हुई जा रही थी. ठीक 9.45 को मेरे लवर अकेले ऊपर आकर पहले मेरे घर पे आए और मुझे एक बड़ी पॉलीथीन की थैली पकड़ा दी.
मैंने पूछा- क्या है?
तो बोले- गुलाब हैं.. तुम ऊपर जाकर उसे बेड पे सजाकर तैयार करो और हां ये लो.
एक पैकेट देते हुए बोले- ये कॉफ़ी है.. तुम उसे दूध में उबाल कर अभी पी लो.. स्पेशल है.. खेलने में खूब मज़ा आएगा.
मैंने पैकेट पर देखा तो उस पर कुछ दवा जैसा नाम लिखा था. वो कोई सेक्स बढ़ाने वाली दवाई जैसा सामान ही था. मैं थोड़ी उनकी और देख के मुस्कुराई.
तो वे बोले- ये देखो… स्वीट है, इसे डिश में लेकर तुम ऊपर आ जाना.. हम दोनों 10 या 10.15 तक आ जाएंगे.. ओके जान!
इसके बाद उन्होंने मुझे कसके अपनी बाँहों में लेकर खूब किस किया मेरे होंठों पर, गाल पर साथ में मेरे बूब्स भी दबाए. मैं गनगना उठी.
फिर वो नीचे चले गए, मैंने ऊपर जाकर बेड सजा दिया.. एकदम सुहागरात जैसी फीलिंग आने लगी थी. फिर एक डिश में वो जो गुलाब जामुन लाए थे, उन्हें निकाल के रखा.
फिर मैंने उन्हें कॉल किया कि सब तैयार है.. आप को आने में कितनी देर होगी?
वो बोले- थोड़ा इंतजार करो जानेमन.. अभी आते हैं.
मैं अपने पैर में पायल, कमर में कमरबंद.. हाथ में बहुत से कंगन.. कानों में बजने वाली झुमके.. ये सब पहन कर तैयार हो चुकी थी.. और उन का वेट कर रही थी.
इतने समय तक वो कॉफ़ी भी अपना असर दिखा रही थी. मेरे बदन में आग लग गई थी.
ठीक 10.15 को वो दोनों ऊपर आए और छत का दरवाजा अन्दर आकर बंद किया. मैं छत में चक्कर लगा रही थी. उन दोनों ने आते ही मुझे बांहों में लेकर किस किया और रूम में लेकर आ गए.
मुझे बिस्तर पर बिठाया और दोनों ने गुलाब जामुन लेकर मुझे खिलाना शुरू किए. मैंने दोनों से आधा आधा गुलाब जामुन ख़ाकर आधा उन दोनों को भी खिलाया. वो दोनों मेरे दोनों ओर बैठ गए थे.
अब धीरे धीरे मेरे लवर ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने पजामे के ऊपर लगाया. बापरे आज तो उनका अभी से ही एकदम कड़क हो गया था. मेरा दूसरा हाथ जाकिर अंकल ने पकड़ के उनके पज़ामे पर रखा. उनका तो मेरे लवर से भी ज़्यादा कड़क था. मैंने ऊपर से ही दोनों के लंड सहलाना शुरू किए.
फिर मैंने अपने बदन से सब जो पहना था, ज़ेवर आदि.. वो निकालना शुरू किया. मैंने चोली के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी, जाकिर ने मेरे पीछे से डोरी खोल कर चोली खोल दी और निकाल दी. उधर मेरे लवर ने मेरी चनिया का नाड़ा खोल कर उसे भी निकाल दिया.
अब मैं सिर्फ़ पेंटी में रह गई थी. मैंने दोनों के कुर्ता पजामे निकाल दिए. अंडरवियर में उनके लंड ऐसे दिख रहे थे कि अभी फाड़ के बाहर आ जाएँगे. इतने कड़क लंड थे.
अब मैं बेड पर बैठी और वो दोनों बेड पर चढ़ कर खड़े हो गए, जिससे दोनों के लंड मेरे मुँह पर आ गए और मैं बारी बारी से दोनों के लंड मुँह में लेके चूसने लगी. आज तो मेरे लवर का लंड भी एकदम बेकाबू हो रहा था. ऐसे मैंने दोनों के लंड करीबन 15 मिनट तक चूसे.
फिर दोनों ने मुझे बेड पर लिटा दिया और जाकिर अंकल ने मेरी चुत पर मुँह लगा कर चुत चूसना शुरू कर दिया. मेरे लवर मेरे पास आकर मेरे मम्मों को चूसना शुरू किया. उन्होंने जैसे ही चूसना शुरू किया, मेरा पानी निकल गया और मेरी चुत एकदम से गीली गीली हो गई. निप्पल भी बहुत कड़क हो उठे थे.
उनको मेरे लवर धीरे धीरे से काटते हुए खींच कर चूस रहे थे.
अब मैं और अधिक बेहाल हो रही थी, मैं बोली- अब रुका नहीं जाता.. जल्दी से अन्दर डालो.. मुझसे सहा नहीं जा रहा है.
तो मेरे लवर ने बोला- जाकिर, चलो पहले तुम अपना लंड पेलो.
जाकिर अंकल ने मेरे ऊपर आकर लंड को चुत की फांकों में रखा. मैंने अपने हाथ से उसे चुत के होल पे थोड़ा घिसा, फिर बोला- हम्म.. अब अन्दर डालो जानू.. डालो जल्दी..
ये सुनते ही उन्होंने एक ज़ोर से झटका मारा और लंड घुसा ही था कि मेरे मुँह से ज़ोर से चीख निकली- मर गई.. बचाओ..
इसी बीच एक ही बार में उनका पूरा लंड अन्दर चला गया.
उधर मेरे लवर मेरे बूब्स पी रहे थे. मैं उनकी छाती और पेट को सहला रही थी. अब जाकिर अंकल ज़ोर ज़ोर से मुझे चोद रहे थे.
मैं बोल रही थी- आह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… और करो और तेज करो.. आज मेरी चुत फाड़ दो.. मुझे रहा नहीं जाता.. डालो और ज़ोर से और ज़ोर से चोदो मुझे..
करीब बीस मिनट तक ज़ोर ज़ोर से उन्होंने मुझे पेला. मैं तब तक 2 बार पानी छोड़ चुकी थी.
मेरी चुत से ‘पुच्छ पुच्छ..’ आवाज आ रही थी. वे झटके ऐसे मार रहे थे कि मेरा पूरा लंड बाहर तक निकल कर ज़ोर से अन्दर तक आ रहा था.
अब वो तेज हुए और बोले- मेरा निकलने वाला है.. कहां निकालूँ?
मेरे लवर बोले- आज तो तुम्हारा पहली बार है.. जाकिर सीमा की चुत में ही निकल जाओ.
तभी एक सैलाब सा मेरी चुत में पूरा निकल गया. उनका रस मेरी चुत को गरम सा करते हुए.. पूरी चुत उनके पानी से भर गई. वो मेरे ऊपर ही लेट गए. उनका लंड अभी भी मेरी चूत में अन्दर ही था.
दस मिनट बाद वे उठे तो चुत में से उनका रस और मेरी चुत का रस बह रहा था. मेरे लवर बोले- यूं तो ये वेस्ट हो जाएगा सीमा. उन्होंने झट से एक कटोरी में उस रस को चुत में उंगली करके निकाला. फिर उन्होंने मुझे कटोरी दी और बोले- ये बहुत कीमती अमृत है, इसे बर्बाद मत होने दो सीमा.. लो पी लो.
मैंने कटोरी लेकर अपनी जीभ से पूरे नमकीन रस को चाट गई और जाकिर अंकल का लंड भी चाट कर साफ किया.
उधर मेरे लवर का लंड अन्दर जाने को एकदम तैयार था.
मैं बोली- अभी चुत धोकर आती हूँ.
तो वो बोले- अरे नहीं आज मैं तुम्हारे नए होल की सील खोलूँगा.
ऐसा बोल कर वो मेरे पीछे आ गए और मुझे कमर से पकड़ के अपने शरीर से चिपका लिया. मुझे मेरी गांड पर उनका लंडा महसूस होने लगा.
मैंने उनसे बोला- जान धीरे से डालना.. कहीं फट न जाए.
वो मुस्कुराते हुए मेरी पीठ पे किस करते और आगे हाथ डालकर बूब्स को मसलते हुए बोले- आज फट जाने दो जान.. आज तो मैं अपनी बरसों की तमन्ना पूरी करके रहूँगा.
तब जाकिर अंकल आ गए और मेरे पास लेट गए. मैंने उनके सिर को मेरे बूब्स के पास लेकर अपने निप्पल उनके मुँह में डाल दिया और उनसे दूध चुसवाने लगी.
अब मेरे लवर ने धीरे से उनका लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद में डाल कर ज़ोर से पुश करना शुरू किया.
मैं बोली- बहुत दर्द हो रहा है जानू.
लेकिन उन्होंने मेरी कोई बात नहीं सुनी. पर लंड मोटा था और मेरी गांड का फूल सुकड़ा हुआ था, इसलिए लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था.
फिर उन्होंने मुझे बेड पे एकदम उल्टा लेटाया और वो मेरे ऊपर आ गए.
अपने लंड को उन्होंने अपने थूक से पूरा गीला किया और वो मेरे ऊपर सीधा चढ़ गए. अपने लंड को मेरी गांड में एक ज़ोर के झटके से डाल दिया. मेरी जान निकल रही थी.. मुझे लग रहा था कि मेरी गांड आज फट गई.. इतना दर्द हो रहा था.
मैंने धीरे से पूछा- उन्न्ह्ह.. कितना गया?
वो बोले- आधा गया है जानेमन.. एक और अगले झटके में आज पूरा घुस जाएगा.
उन्होंने फिर से एक ज़ोर का झटका देके मेरी गांड में पूरा लंड अन्दर तक पेल दिया. फिर मेरे ऊपर अपना पूरा वजन डाल कर ऊपर ही लेट गए. दस मिनट धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया. अब मुझे भी थोड़ा मज़ा आना शुरू हुआ था. उन्होंने भी ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाना शुरू किया.
वो बोले- चलो सीमा, अब मैं बेड पे लेटता हूँ.. तुम ऊपर बैठ कर पूरा लंड अपनी गांड में लेकर खुद अन्दर बाहर करो.. जिससे जाकिर भी तुम्हें अपना लंड गांड मराने के भी साथ में चुसवा सके.
मैं खड़ी होके उनके ऊपर बैठ गई और अपने हाथ से लंड को अपनी गांड में डालकर लेने लगी. जाकिर अंकल खड़े होकर लंड हिलाने लगे. वे अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर चुसवा रहे थे. मैं ज़ोर से ऊपर नीचे करते हुए अपनी गांड को उछाल कर पूरा लंड ले रही थी.
ऐसा खेल तीस मिनट तक चला. अब उनका लंड रस निकालने वाला था. उन्होंने मेरी गांड में ही पानी निकाल दिया.
अब मेरी गांड से उनका पानी बह रहा था. साथ में थोड़ा खून भी निकल रहा था. मैंने चादर में देखा तो वीर्य के और थोड़े खून के धब्बे बने थे. दोनों का खूब वीर्य निकला था. सो चादर काफ़ी भीगी हुई थी.
अब मुझे मेरे लवर बोले- जाओ सीमा अपनी गांड और चुत साफ करके आ जाओ. मैं नंगी ही छत के बाथरूम में जाकर अपने गांड और चुत धोकर आ गई.
वो जाकिर से बोले- अब तुम अपना लंड सीमा की गांड में डालो. मैं तो अब उसका दूध पियूंगा.
मैंने जाकिर अंकल का लंड मुँह में लेके मेरे थूक से गीला किया और जाकिर से मेरे पीछे से लंड टिका कर मेरी गांड में पेल दिया. आगे से मेरे लवर मेरे बूब्स पीने लगे.
उन्होंने अपना लंड पेल कर पूरे 30 मिनट तक मेरी गांड मारी.
फिर बोले- अब पानी निकलने वाला है.
मैंने सामने से बोला- उसे मेरे मुँह में गिरा दीजिए.
उन्होंने अपना मुँह मेरे लंड पे रख के पानी निकाला और मैं पूरा पानी पी गई. उनका लंड भी चाट कर साफ कर दिया.
अब मैं तो पूरी पस्त हो गई थी. मेरा बदन, मेरी चुत, मेरी गांड सब दर्द कर रहा था. उन दोनों का लंड तो अभी भी तैयार ही था.
मैं बोली- आज क्या खाया है, जो इतना तैयार है?
वो दोनों हंसते हुए बोले- जानेमन, तुमको जो दवाई खिलाई, वैसे ही हमने भी एक एक गोली खाई है.. आज तेरी पूरी तड़प जो मिटानी है.
फिर से दोनों मेरे बूब्स दबाने लगे.. किस करने लगे. मैं भी दोनों के लंड एक एक करके मुँह में लेने लगी. पूरी रात में उन दोनों ने मुझे 2 बार गांड में और 6 बार चुत में डाल कर चोदा. मैं सुबह तक बेहाल हो गई थी, लेकिन जो मज़ा मिला था.. उससे मैं खुश थी.
फिर मैं नीचे गई, नहा कर उन दोनों के लिए नाश्ता चाय बनाया और लेकर ऊपर गई. हम तीनों ने नाश्ता किया. फिर उनके फ़्रेंड जाकिर अंकल निकल गए और मैं और मेरे लवर रूम में थे.
बेड एकदम बिखर गया था.. गुलाब की पंखुड़ियां पूरे रूम में पड़ी थीं. चादर तो समझो पूरे चिकने धब्बे वाली हुई पड़ी थी. मेरी चनिया चोली भी उनके वीर्य वाली हो गई थी.
वो सब अभी में ठीक कर ही रही थी कि मेरे लवर ने मुझे पीछे से कसके बांहों में भर लिया और चूमने लगे.
मैं बोली- पूरी रात किया.. फिर भी मन नहीं भरा?
वो बोले- तुम हो ही ऐसी चीज़ कि लंड खड़ा हो जाता है.
फिर उन्होंने मेरी कैपरी में उंगली डाल दी और बोले- देखो ना तुम्हारी चूत तो अभी भी एकदम गीली है.. तुम भी तो लंड के लिए तैयार हो.
मैं धीरे से बोली- अरे छत का दरवाजा खुला है.. बंद करके आओ.
वो दरवाजा बंद करने गए, मैं नंगी हो गई और फिर उन्होंने मुझे फिर से एक बार जमके चोदा और पूरा वीर्य मेरे मुँह में निकाल दिया. मैं लंड मुँह में लेकर रस पी गई.
फ़िर सब कपड़े लेके धोने के लिए घर आ गई.
तो यारो, आपको मेरी गांड में लंड की कहानी कैसी लगी.. ज़रूर बताना. जल्दी ही एक नयी कहानी लेकर आऊंगी. बाय.
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